क्यों हर बेटी का नसीब यही होता है?
ख्वाब नयनों में लिए, मेरी परी ने जन्म लिया, बड़ी हुई, मेरा सहारा हुई। लाडो को लाडो से पाला मैंने, नाजों से सींचा मैंने । उसकी हटखेलियों को प्यार से दिल में दबाकर जी मैं। उसमे खुद के जीवन को जिंदा पाया है मैंने। यूं चाहा वक्त को थाम लूं मैं , पर ऐसा कहां हो पाया है?? तुझे आत्मनिर्भर बनाने की ही जीवन में मैने ठानी है।
२००७ में मेरी गुड़िया ने जन्म लिया। मानो मेरा ही फिर पुनर्जन्म हुआ हो। मेरी आंखों में आसूं थे ओर मेरे हाथों में जैसे मेरी ही जान मुझे निहार रही थी।।
ये मेरी बेटी आई , मेरा वजूद , मेरा गुमान आई । आज सब जैसे खुशी से झूम उठे हैं। एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। और मैं पगली , ने कौन सा समुन्दर नयनों में दबाकर बैठी थी।
अपनी मम्मी को देखा तो जैसे सब्र का बांध टूट गया और बाड़ आ गई। उस दिन मेरी मम्मी ने मुझसे वचन लिया”, अब टूटने बिखरने के दिन गए लाडली । अब तो डटना है मोर्चे पर। ठीक उसी प्रकार जिस तरह एक सैनिक देश की रक्षा करता है। तुझे भी अजनबियों से इस नन्हे आशिर्वाद की रक्षा का संकल्प लेना है।”
बात समझ आ गई मुझे उनकी की वो अपनी गलती पर पछताती हैं। मुझे वह भूल न करने की चुप से हिदायत दिए जाती हैं।
मैं तुझे इतना काबिल बनाना चाहती हूं की तू अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी सके । देखते देखते आज तू ९ कक्षा में आ गई है। बड़ी हुई है तू तो मैं कुछ डरती हूं। क्या वचन अपना पूरा कर पाऊंगी , अक्सर , खुद से ही पूछा करती हूं।
डरती हूं ये दुनिया बहुत अजीब है , कैसे तुझे इस से बचा पाऊंगी। पर ये भी सच है की तेरे लिए में किसी भी हद से गुजर जाऊंगी।
हां बहुत बुरी हूं मैं ,,, हरदम डांटती हूं तुझे,, फिर अकेले में रोती भी हूं सिसक सिसक के। बहुत चाहती हूं तुझे इसीलिए शायद डरने लगी हूं । यही सब सोच के कभी रातों में तुझे सीने से लगती हूं और कभी प्यार से सहलाती हूं।
आज देखते देखते तू इतनी बड़ी हो गई है। ज़रा ठहर जा लाडो ज़रा तेरा बचपन कुछ और जीने की चाह है मुझे।
चाहती हूं तुझे इतना सक्षम , समझदार , लायक और परिपक्व बना दूं की कोई मुश्किल न तोड़ पाए तुझे।
हर मां की ऐसी ही सोच है बेटियों के लिए। आज के आधुनिक युग में और नवीनीकरण की दुनिया में हम सब मां अपनी बेटियों को किसी भी लहजे में कम नही समझती । पर यह कैसी विडंबना है की:
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Beti ka kyu ye naseeb hota h?
Beti ka kyu ye naseeb hota h?
Pati se Milne KO pita ki.
Pita se Milne KO pati ki, ijazat chahti h,
Sabki khushi me khushi,,
Dukhi dukh me hoti h..
Sasural me maika apna batati h..
Maike me sasural KO ghar batati h..
Sabko khush rakhne KO,
Khud sukh se tak na soti h,,,
Do parivaro ki ,,,
Laaj ka bhoj,
Ta umar dhoti h,,,
Kabhi aisi ghadi bhi hoti h,,,
Jab sisak sisak k roti h,,
Takiye ka gala dabaye,,
Marne ki dua bhi hoti h,,
Par phir jab subah hoti h..
Shuruat wahin se hoti h…
Na hansti h, na roti h…
Subah ki shuruat wahin se hoti h…
Wahin se hoti h..
Kyu har beti ki kismat yehi hoti h..
Kya har beti pita aur pati ki ,,, milkiyat bhar hi hoti h,
Kya hamari hansti kuch nahin hoti h?
Kya hamara wajood nahin hota h?
Kyu har bet I ka naseeb yehi hota h?
#byrituraj
Well expressed and very true. I think feeling of every mother but deeply expessed in words by you.
??❤️
अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना एक कला है, भगवान ने आपको ये कला दी है।
So true. Well done sister❤️
Well expressed feelings a mother. In panktion me mujhe tumhara darr b mehsoos hua. Par beta ghabrana kyon? Aajkal k bache to bahut smart n intelligent hote hein. Un par koi bandishen mat rakho. To ye bache